27 Jun 2020 विधिमान्य संविदा के निर्माण के लिए पक्षकारों के लिए स्वतंत्र सम्मति अनिवार्य है । सम्मति की परिभाषा संहिता की धारा 13 में दी गयी है, जिसके अनुसार – “दो या दो से अधिक व्यक्ति सम्मत हुए तब कहे जाते है जब कि वे किसी एक ही बात पर एक ही भाव में सहमत होते है ।”
27 Jun 2020 धारा 10 के अनुसार, “सब करार संविदाये है, यदि वे संविदा करने के लिए सक्षम पक्षकारों की स्वतंत्र सम्मति से किसी विधिपूर्ण प्रतिफल के लिए और किसी विधिपूर्ण उद्देश्य से किये गये है एतद्द्वारा अभिव्यक्तः शून्य घोषित नहीं किये गये है ।”
27 Jun 2020 प्रतिफल को विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने शब्दों में परिभाषित करने का प्रयत्न किया है । न्यायमूर्ति ब्लैकस्टोन के अनुसार, “प्रतिफल का अर्थ ऐसी क्षतिपूर्ति से है जो वचनदाता को उसके वचन के बदले में दूसरे के द्वारा दिया जाता है ।”
27 Jun 2020 संविदा अधिनियम की धारा 2(e) के अनुसार करार का तात्पर्य वचन अथवा ऐसे वचनों के प्रत्येक समूह से है जो एक दूसरे के प्रतिफल हैं । वही धारा 2(b) के अनुसार वचन (प्रतिज्ञा) से तात्पर्य प्रस्थापना और स्वीकृति से है । जब प्रस्थापना स्वीकृत हो जाती है तब वह वचन हो जाती है ।
27 Jun 2020 भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 2(h) के अनुसार, “संविदा एक ऐसा अनुबंध (करार) होता है जो विधि के द्वारा प्रवर्तनीय होता है ।”इसका तात्पर्य यह हुआ कि प्रत्येक प्रकार के अनुबंध (करार) संविदा नही होते हैं, बल्कि केवल वे ही अनुबंध संविदा हैं, “जो विधि द्वारा प्रवर्तनीय है ।”